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एपिसोड 1 |
गणाधीश जो ईश सर्वा गुणांचा.... ह्या संसारात दुःख रूपात, पापमूलत, अनित्यता हे तिन्ही नसते तर हा संसार स्वर्गा पेक्षा हि चांगला असता.....जन्म दुःखाचा सागर, जन्म शोकाचा सागर,.... यंदा यंदा हि धर्मस्य.... |
2 |
एपिसोड 2 |
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर भवती भारत ...कर्म तीन प्रकारचे आहेत ..अनन्य भक्ती कशी असते ....सर्व धर्मानं परित्यज .... समर्थ रामदास -सकळही सांडूनि शोध मजला ऐसे देवचीबोलला...म्हाइंभट्टा ईश्वर प्रचिती करणे ...." |
3 |
एपिसोड 3 |
"म्हाइंभट्टा ईश्वर प्रचिती करणे .....भट्टो, तुम्ही अभ्यासलेल्या षड शास्त्रात हा जीव जन्म मृत्यूच्या दुष्ट चक्रातून कायमचा मुक्त होईल असा कोणता उपाय सापडला काय ?...यादव कालीन मराठी..देव भाष्य..दुःख दाई संकटातून कोण वाचवेल..ज्ञान मोचक..व्यक्त अव्यक्त परमेश्वर कसे कार्य करतात... " |
4 |
एपिसोड 4 |
"अनंत शक्ती परमेश्वर -- हत्तीचा दृष्टांत -- राहट घाटकीयाचा दृष्टांत..माया चक्र भ्रमण न्यायें.. देवता -संस्कृत आहे ...गुरु व सद्गुरू मधील भेद..गुरु विश्स्वास म्हैसेयाचा." |
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एपिसोड 5 | कर्म निष्पत्ती-- सकृत असे तो वरी भोगिती, सकृत सरता लोटोनी देती --गुरु व सद्गुरू ह्यातील फरक |
6 |
एपिसोड 6 |
ती --गुरु व सद्गुरू्गुर्गुरू ह्यातील फरक |
7 |
एपिसोड 7 |
प्रल्हाद बाईसा देव निरूपण |
8 |
एपिसोड 8 |
ईश्वर कसा आहे -हे जाणून घ्यायचा प्रयत्न : भाईंच्या ेधर्म साहित्याची माहिती |
9 |
एपिसोड 9 |
ब्रह्म विद्या साधक-संत रामदास -जना मध्ये राहे -इदं खल्विदं -साधूची, वैराग्याची व्याख्या --तन को जोगी -विषय त्यागी-नित्या नित्य --परमेश्वर स्वरूप, कारण , स्वरूप -लाभा पासून लाभ --विरुद्ध धर्मी ईश्वराची आत-- |
10 |
एपिसोड 10 |
नित्या नित्य वस्तू विवेक ह्याचा अर्थ -आध्यात्माचा अर्थ -- भक्ती चे प्रकार |
11 |
एपिसोड 11 |
श्री कृष्णने सांगितलेले चार प्रकारचे भक्त, जीवाची व्याख्या -जीव्हीलीय जिये मारलीय मारे- संत एकनाथ |
12 |
एपिसोड 12 |
जीव देवता भुते मिथ्या म्हणो नये -महादाइसाला प्रति देह व नरक निरूपण |
13 |
एपिसोड 13 |
सर्व धर्मानं परित्यज .. धर्म ते कोणते? म्हाइंभटांना ईश्वर प्रचिती व जिवाच्या व्यक्त आवँयक स्वरूपाचे निरूपण.संसरान |
14 |
एपिसोड 14 |
चार विष्णू ची माहिती, दंश अवताराची माहिती. -शुभेच्छा श्री सुदामशेठ सगळे -सिन्नर |
15 |
एपिसोड 15 |
सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामींनी भक्त दयाम्बना ईश्वर आणि देवता वेगवेगळ्या आहेत हे सांगणे. अनंन्या वृत्ती निरूपण. डुलकलेल्या बालकाचा दृष्टांत. जन्म दुःखाचा डोंगर, काया हि पांढरी आत्मा हा विठ्ठल-संत तुकाराम -शुभेच्छा श्री दिनकर धर्म पाटील -नाशिक |
16 |
एपिसोड 16 |
संत तुकारामांना झालेले पंचात्तप. त्रेतयुग- तंत्र युग. द्वापार युग -मंत्र युग व कलियुग-यंत्र युग. |
17 |
एपिसोड 17 |
संत तुकाराम महाराज- पांडुरंगाचा अर्थ . टिकाव नायक-सिद्ध नायक- वाद वाद कोणाशी घालू नये? ह्या बद्दल स्वामींनी केलेले निरूपण. झाडीत झडेना तोडीत तुटेना त्या प्रति बोलावे |
18 |
एपिसोड 18 |
ईश्वर अवतार -आघाताचे आघात |
19 |
एपिसोड 19 |
श्री कृष्ण -विभूती निरूपण. मम एव -मेरे जैसा दुखणे वाला . चार पदार्थाचे निरूपण हिंदी मध्ये. -शुभेच्छा -श्री उत्तम चाफे |
20 |
एपिसोड 20 |
२० इदं खलुवीदं ब्रह्म इको मेवा द्वितीया नास्ती, अहं ब्राम्हास्मि अहं ब्रम्हास्मि। बांधलेल्या गाईचा drushtant सिद्धांत। ईश्वराची जीवाला आपला आनंद देण्याची ईच्छा -शुभेछया कुणाल रिझवानी। |
21 |
एपिसोड 21 |
२१ संत ज्ञानेश्वर मांझी मूर्ति निफाजवती सर्व देवतांची पुजा करतॊ अश्या भक्तांना संत ज्ञानेश्वरांनी वेश्या (अहेव ) म्हंटले आहे। (संतांचे बोल) शुभेछया :प्।पु। प म श्री दूध गावकर बाबा- महानुभाव |
22 |
एपिसोड 22 |
२२ तथा शास्त्र कथन निःशेध - हे शास्त्र कवणा प्रति न बोलावे। म्हाइंभटांना बोध निरूपण। शुभेच्छा -प्। से श्री राधा कृष्ण खुंटे -सिन्नर |
23 |
एपिसोड 23 |
२३ मानवता धर्माचा ऱ्हास -श्री चक्रधर अवतार , श्री चक्रधर स्वामींचे स्री विषयक दृष्टिकोन। |
24 |
एपिसोड 24 |
सकळही सांडूनि शोधा मजला, सर्व धर्मानं परित्यज , ब्राह्मणांना गृहस्त धर्म निरूपण, सप्त व्यसन, जीव अरजक देवता फळ दाती, सन्यास म्हणजे काय,: शुभेच्छा कु. प्रियांका शेळके, सिन्नर . |
25 |
एपिसोड 25 |
काळ प्रवाह, सद्गुरूची व्याख्या, भागार कांता द्वय कटारिया , गोरख नाथ - योग साधना. स्त्रीत्व रक्षण : शुभेच्छा -प. से. श्री सुदामा सगळे -सिन्नर |
26 |
एपिसोड 26 |
लज्जा रूप धर्म स्त्रियांशी रक्षण, कलियुगी ब्रह्मचर्य त्रासले जीव विषय कारणे मढी उकारती , ऋषी शृंग स्त्री पुरुष ऐसा विभागही नेने, स्त्री म्हणजे मत द्रव्याचा रावो गा, मोबाइल चे दुष परिणाम, जीवाचा वागारा नावेक ढिला करो नये, |
27 |
एपिसोड 27 |
५० वर्ष पूर्वीची परिस्थिती, जोची अवसर विषय तो ची ब्रह्म विध्ये , तुम्हा शायनासनी भोजनीं ईश्वराची होआविकिंगा, चित्त वित्त काय हे परमेश्वरीशी अर्पावी, रिनाईटाचा दृष्टांत |
28 |
एपिसोड 28 |
कण बाभुळीचा दृष्टांत -म्हाइंभट्टना अनुसरल्याची चर्या निरूपण : शुभेच्छा : सुभाष जावळे -परभणी |
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एपिसोड 29 |
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एपिसोड 30 |
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एपिसोड 31 |
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एपिसोड 37 |
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एपिसोड 39 |
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एपिसोड 40 |
समारोपण:प. से . अंजनगावकर प्रेक्षकांचे अभिप्राय -प्रभुळकर, रेखा कड, डॉ. काचोळे, सविता ताई खंडारे, धाके, सौ गुप्ता, संजय कड. तसेच भाईंचे सत्कार व मालिकेतील काही भाग. |